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भगवती
सूत्र - श. ४१ उ. २९-५६
२ उत्तर - जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमे विभवसिद्धियकण्डलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा । ४१-३६ । ३ - एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा कायध्वा ।
४१-४० ।
४ - एवं काउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा । ४१-४४ ॥ ५ - तेउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा ओहियसरिसा । ४१-४८ ॥ ६ - पहले सेहि विचत्तारि उद्देगा । ४१ - ५२ ॥ ७ - सुकलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा ओहियसरिसा एवं एए वि भवसिद्धिएहि वि अट्ठावीस उद्देगा भवंति । ४१ - ५६ ।
।। २९-५६ उद्देसा समत्ता ॥
भावार्थ - १ प्रश्न-हे भगवन् ! भवसिद्धिक राशि-युग्म में कृतयुग्म राशि नैरयिक कहां से आते हैं ?
१ उत्तर - हे गौतम ! पहले चार औधिक उद्देशक के अनुसार यहां भी चार उद्देशक सम्पूर्ण जानना चाहिये । २९-३२ ।
२ प्रश्न - हे भगवन् ! राशि-युग्म में कृतयुग्म राशि कृष्णलेश्या वाले भवसिद्धिक नैरयिक कहां से आते हैं ?
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२ उत्तर - हे गौतम ! कृष्णलेश्या के चार उद्देशक के समान अवसिद्धिक कृष्णलेश्या वाले जीवों के भी चार उद्देशक जानना चाहिये । ३३-३६।
३- इसी प्रकार नीललेश्यां वाले मवसिद्धिक जीवों के भी चार उद्देशक जानना चाहिये । ३७-४० ।
४ - इसी प्रकार कापोतलेश्या वाले भवसिद्धिक जीवों के भी चार उद्देशक जानना चाहिये । ४१-४४ ।
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