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________________ ३७२४ भगवती सूत्र - श. ३४ अवान्तर शतक २ विग्रहगति उद्देशक अनन्तर के समान, परम्पर, परम्पर के समान और चरम तथा अचरम भी उसी प्रकार है । ये ग्यारह उद्देशक हुए । ॥ चौतीसवें शतक के प्रथम अवांतर शतक के ४ - ११ उद्देशक सम्पूर्ण ॥ ॥ एकेन्द्रिय श्रेणी शतक का प्रथम अवान्तर शतक सम्पूर्ण ॥ अवान्तर शतक २ १ प्रश्न - कविहा णं भंते! कण्डलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता ? १ उत्तर - गोयमा ! पंचविद्या कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता; भेओ चकओ जहा कण्हलेस्सए गिंदियसए जाव वर्णस्स इकाइयं ति । भावार्थ - १ प्रश्न हे भगवन् ! कृष्णलेश्या वाले एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के कहे हैं ? ११ उत्तर - हे गौतम! कृष्णलेश्या वाले एकेन्द्रिय पांच प्रकार के कहे हैं। उनके चार-चार भेद एकेन्द्रिय शतक के अनुसार यावत् वनस्पतिकायिक पर्यंत । २ प्रश्न - कण्हलेम्सअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणसभा पुढवीर पुरच्छिमिल्ले० ? २ उत्तर - एवं एवं अभिलावेणं जहेब ओहिउद्देसओ जाव 'लोग चरिमंते' त्ति । सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु चेव उववाएयव्वो । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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