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________________ ३६४२ भगवती गूत्र-श. ३१ उ. १ क्षुदयुग्म उववाओ जहा वक्तीए तहा भाणियन्वो । भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! क्षुद्रकृतयुग्म राशि परिमाण नैयिक कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ? क्या नैरयिक, तियंच० ? २ उत्तर-हे गौतम ! नैरपिक से आ कर उत्पन्न नहीं होते, (किन्तु पञ्चेन्द्रिय तिपंच भौर गर्भज मनुष्य से आ कर उत्पन्न होते हैं) इत्यादि प्रज्ञापना सूत्र के छठे व्युत्क्रान्ति पद में नैरयिक के उपपात के अनुसार। ३ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववजति ? ... ३ उत्तर-गोयमा ! चत्तारि वा अट्ट वा बारस वा सोलस वा . संखेजा वा असंखेजा वा उववति । भावार्थ-३ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव एक समय में कितने उत्पन्न होते हैं ? ३ उत्तर-हे गौतम ! चार, आठ, बारह, सोलह, संख्यात या असंख्यात उत्पन्न होते हैं। ४ प्रश्न-ते णं भंते ! जीवा कहं उववजंति ? ४ उत्तर-गोयमा ! से जहाणामए पवए पवमाणे अजवसाणएवं जहा पंचविंसहमे सए अट्ठमुद्देसए णेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियन्वा जाव आयप्पओगेणं उववजंति णो परप्पओगेणं उववजंति। . .......... भावार्थ-४ प्रश्न-हे भगवन् ! वे जीव किस प्रकार उत्पन्न होते हैं ? ४ उत्तर-हे गौतम ! जिस प्रकार कोई कूदने वाला करता हुआ (अपने पूर्व स्थान को छोड़ कर आगे के स्थान को प्राप्त करता है, इसी प्रकार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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