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भगवती सूत्र - श. २७ उ. १-११ जीव पाप कर्म करता है ?
अथवा - 'बन्ध' का अर्थ है - सामान्य रूप से कर्म को बांधना और 'करण' का अर्थ है - कर्मों को निधत्तादि रूप से बांधना, जिसमे विपाकादि रूप से उनका फल अवश्य भोगना पड़े, इत्यादि बातो को बताने के लिए 'बन्ध' और 'करण' का पृथक्-पृथक् कथन किया है ।
|| सत्ताईसवाँ शतक का १ - ११ उद्देशक सम्पूर्ण ॥
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॥ सताईसवाँ शतक सम्पूर्ण ॥
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