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________________ (36) पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध यथाख्यास यथाख्यात ३५.८ प्रणीतररस प्रणीत रस ३५०९ २ उक्कुडुयसाणिए उक्कुडुयासणिए ३५१८ अण्णहयकरे अण्हयकरे ३५३५ स्परूप स्वरूप ३५४७ १४ मिथ्याइष्टि . मिथ्यादृष्टि ३५५४ अणगारोव उत्ते अणागारोवउत्ते ३५५६ वांधेगे बांधेगे ३५६५ बंधो बंधी ३५६७ १४ ज्ञानवरणीय कर्म ज्ञानावरणीयकर्म ३५७१ यजोगोण वयजोगो ण ३५७३. १८ अणंतराववण्णए अणंतरोववण्णए ३६०२ अणगारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ३६०४ विषय विषम ३६१० लोभकसायी जाव लोभकसायी जहा ३६१९ १४ का ३६९२ चरमान्त में चरमान्त से ३७१० कहना ३७३४ यहान् ३७४० एकेद्रिन्य एकेन्द्रिय ३७४१ १३ १५ उत्तर १५ प्रश्न ३७६२ . १२ संचिट्ठाणा संचिट्ठणा ३८१३ २० बांचन वांचन नोट--टाइप घिसे होने के कारण मुद्रण दोष से कहीं-कहीं मात्राएँ (, , , , , ,,) अनुस्वार () रेफ (") और अक्षर (श, भ, प, त्र, क, य, २, स, न त आदि) साफ नहीं उठे हैं । किन्तु पूर्वापर संबंध के साथ पढ़ने से इनमें भूल होने की संभावना नहीं है । पाठकगण कृपया अपनी प्रति ठीक कर लेवें--स. सं.। का आयु हना महान् Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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