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________________ भगानी गुव-श. २५ 3. १ विनय तप ३५१५ wom wwwwwwwww ६ कायविणए ७ लोगोवयारविणए । १२६ प्रश्न-हे भगवन् ! विनय कितने प्रकार का है ? १२६ उत्तर-हे गौतम ! विनय सात प्रकार का कहा है । यथा-ज्ञानविनय, दर्शन-विनय, चारित्र-विनय, मन-विनय, वचन विनय, काय-विनय और लोकोपचार-विनय । १२७ प्रश्न-से किं तं णाणविणए ? १२७ उत्तर-णाणविणए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-१ आभिणि. बोहियणाणविणए जाव ५ केवलणाणविणए । सेत्तं णाणविणए । भावार्थ- १२७ प्रश्न--हे भगवन् ! ज्ञान विनय के कितने प्रकार हैं ? १२७ उत्तर-हे गौतम ! ज्ञान-विनय पांच प्रकार का है। यथा-आभिनिबोधिक ज्ञान-विनय यावत् केवलज्ञान-विनय । यह ज्ञान-विनय हुआ। . १२८ प्रश्न-से किं तं दंसणविणए । १२८ उत्तर-दसणविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-मुस्सूसणाविणए य अणचासायणाविणए य । भावार्थ-१२८ प्रश्न-हे भगवन् ! दर्शन-विनय के कितने भेद हैं ? १२८ उत्तर-हे गौतम ! दर्शन-विनय के दो भेद हैं। यथा-शुश्रूषा. विनय और अनाशातना-विनय । १२९ प्रश्न-से किं तं सुस्सूमणाविणए ? १२९ उत्तर-सुस्सूसणाविणए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहासकारे इ वा, सम्माणे इ वा-जहा चोद्दसमसए तइए उद्देसए जाव पडिसंसाहणया । सेत्तं सुस्सूसणाविणए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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