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________________ ३४०० भावार्थ - ८५ प्रश्न - हे भगवन् ! पुलाक साकारोपयोगयुक्त होते हैं या अनाकारीपयोगयुक्त ? ८५ उत्तर - हे गौतम! साकारोपयोगयुक्त भी होते हैं और अनाकार उपयोगयुक्त भी । इसी प्रकार यावत् स्नातक पर्यन्त । कषाय द्वार ८६ प्रश्न - पुलाए णं भंते ! सकसायी होज्जा, अकसायी होज्जा ? ८६ उत्तर - गोयमा ! कसायी होज्जा, णो अकसायी होज्जा । प्रश्न- जड़ सकसायी होज्जा से णं भंते! कइसु कसाप्सु होजा ? उत्तर - गोयमा ! उसु कोह- माण - माया-लोभेसु होज्जा । एवं उसे वि, एवं पडि सेवणाकुसीले वि । भगवती सूत्र - श. २५ उ. ६ कषाय द्वार होते हैं ? भावार्थ-८६ प्रश्न - हे भगवन् ! पुलाक, सकषायी होते हैं या अकषायी ? ८६ उत्तर - हे गौतम! सकषायी होते हैं, अकषायी नहीं होते । प्रश्न - हे भगवन् ! यदि वे सकषायी होते हैं, तो कितने कषायों में Jain Education International उत्तर - हे गौतम! क्रोध, मान, माया और लोभ-इन चारों कषायों में होते हैं । इसी प्रकार बकुश और प्रतिसेवना-कुशील पर्यन्त । ८७ प्रश्न - कसायकुसीले णं- पुच्छा । ८७ उत्तर - गोयमा ! कसायी होज्जा, णो अकसायी होना । प्रश्न - जड़ सकसायी होज्जा से णं भंते ! कइस कसाएस होजा ? For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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