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भगवती सूत्र - श. २५ उ. ६ राग द्वार
भावार्थ - १८ प्रश्न - हे भगवन् ! स्नातक सवेदी होते हैं या अवेदी ? १८ उत्तर - हे गौतम ! निग्रंथ के समान स्नातक भी अवेदी होते हैं । परन्तु वह उपशान्तवेदी नहीं होते, क्षीणवेदी होते हैं ।
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• विवेचन - पुलाक, बकुश और प्रतिसेवना-कुशील में उपशम श्रेणी या क्षपक श्रेणी नहीं होती, इसलिये वे अवेदी नहीं होते । पुलाक लब्धि स्त्री को नहीं होती, पुरुष या पुरुष नपुंसक को होती है । पुरुष होते हुए भी लिंग छेद आदि के द्वारा जो 'कृत्रिम नपुंसक' है, वह पुरुष नपुंसक यहाँ ग्रहण किया है स्वरूपतः अर्थात् जो जन्म से नपुंसक है, उसका भी यहाँ ग्रहण किया है ।
कषाय-कुशील, सूक्ष्मसंपराय गुणस्थान तक होते हैं । वे प्रमत्त, अप्रमत्त और अपूर्वकरण गुणस्थान में सवेदी होते हैं तथा अनिवृत्तिवादर और सूक्ष्मसंपराय गुणस्थान में वेद का उपशम या क्षय होने से अवेदी होते हैं ।
निग्रंथ उपशम और क्षपक दोनों श्रेणी में होते हैं । इसलिये वे उपशान्तवेदी या क्षीणवेदी होते हैं । स्नातक क्षपक श्रेणी में ही होते हैं । इसलिये वे क्षीणवेदी होते हैं ।
राग द्वार
१९ प्रश्न - पुलाए णं भंते ! किं सरागे होज्जा, वीयरागे
होना ?
१९ उत्तर - गोयमा ! सरागे होजा, णो वीयरागे होज्जा एवं जाव कसायकुसीले ।
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भावार्थ - १९ प्रश्न - हे भगवन् ! पुलाक सराग होते हैं या वीतराग ? १९ उत्तर - हे गौतम | पुलाक सराग होते हैं, वीतराग नहीं होते । इसी प्रकार यावत् कषाय- कुशील पर्यन्त ।
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