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भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प
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संखेजपएसिया खधा णिरेया दव्वट्टयाए संखेजगुणा ११ असंखेजः पएसिया कंधा गिरेया दवट्टयाए असंखेजगुणा।। ___ पपसट्टयाए-सव्वत्थोवा अणंतपएसिया० । एवं पएसट्टयाए वि । णवरं परमाणुपोग्गला अपएसट्टयाए भाणियव्वा । संखेजपएसिया खंधा णिरेया पएसट्टयाए असंखेजगुणा, सेस तं चेव ।
भावार्थ-१२८ प्रश्न-हे भगवन् ! देश-कम्पक, सर्व-कम्पक और निष्कम्पक परमाणु-पुद्गल, संख्यात प्रदेशी स्कन्ध, असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध और अनन्त प्रदेशी स्कन्ध में द्रव्यार्थ, प्रदेशार्थ और द्रव्य-प्रदेशार्थ से कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ?
. १२८ उत्तर-हे गौतम ! १ सर्व-कम्पक अनन्त प्रदेशी स्कन्ध द्रव्यार्थ से सब से थोड़े है, २ उनसे निष्कम्पक अनन्त प्रदेशी स्कंध, द्रव्याथं से अनन्त गुण है, ३ उनसे देश-कम्पक अनन्त प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ से अनन्त गुण हैं, ४ उनसे सर्व-कम्पक असंख्यात प्रदेशी स्कंध, द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण हैं ५ उनसे सर्व-कम्पक संख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण है, ६ उनसे सर्व-कम्पक परमाणु-पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण है, ७ उनसे देश-कम्पक संख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण है, ८ उनसे देशकम्पक असंख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण हैं, ९ उनसे निष्कम्पक परमाणु-पुद्गल द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण है, १० उनसे निष्कम्पक संख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ से संख्यात गुण हैं, ११ उनसे निष्कम्पक असंख्यात प्रदेशी स्कंध द्रव्यार्थ से असंख्यात गुण हैं।
प्रदेशार्थ से-सर्व-कम्पक अनन्त प्रदेशी स्कंध प्रदेशार्थ से सब से थोड़े हैं। इस प्रकार प्रदेशार्थ से भी अल्प बहुत्व जानना चाहिये । किन्तु परमागुपुद्गल के लिये 'अप्रदेशार्थ' कहना चाहिये तथा निष्कम्पक संख्यात प्रदेशीरकंध, प्रदेशार्थ से असंख्यात गुण है-ऐसा कहना चाहिये । शेष पूर्ववत् ।
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