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________________ भगवती सूत्र-श. २५ उ. ४ पुद्गल सकम्प-निष्कम्प ३३२७ याण य कयरे कयरे० जाव विसेसाहिया वा ? १२५ उत्तर-गोयमा ! सम्बत्थोवा परमाणुपोग्गला सव्वेया, णिरेया असंखेजगुणा। भावार्थ-१२५ प्रश्न-हे भगवन् ! सर्व-कम्पक और निष्कम्पक परमाणुपुद्गलों में कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? १२५ उत्तर-हे गौतम ! सर्व-कम्पक परमाणु-पुद्गल सब से थोड़े हैं, उनसे निष्कम्पक परमाणु-पुद्गल असंख्यात गुण हैं। १२६ प्रश्न-एएसि णं भंते ! दुपएसियाणं खंधाणं देसेयाणं, सब्वेयाणं, णिरेयाण य कयरे कयरे० जाव विसेसाहिया वा ? १२६ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवा दुपएसिया खंधा सम्वेया, देसेया असंखेजगुणा, णिरेया असंखेजगुणा । एवं जाव असंखेजपएसियाणं खंधाणं। भावार्थ-१२६ प्रश्न-हे भगवन् ! देश-कम्पक, सर्व-कम्पक और निष्कम्पक हिप्रदेशी स्कन्ध में कौन किससे यावत् विशेषाधिक हैं ? . १२६ उत्तर-हे गौतम ! सर्व-कम्पक द्विप्रदेशी स्कन्ध सब से थोड़े हैं। उनसे देश-कम्पक असंख्यात गुण हैं और उनसे निष्कम्पक असंख्यात गुण हैं। इस प्रकार यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध तक। १२७ प्रश्न-एएसि णं भंते ! अणंतपएसियाणं खधाणं देसेयाणं, सम्वेयाणं, णिरेयाण य कयरे कयरे० जाव विसेसाहिया वा ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004092
Book TitleBhagvati Sutra Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size11 MB
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