SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 71
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शतक १५ उद्देशक ५ देव की सुन्दरता असुन्दरता १ प्रश्न - दो भंते! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववण्णा, तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे पासाईए, दरिसणिजे, अभिरू, पडिरूवे; एगे असुरकुमारे देवे से णं णो पासाईएणो दरिसणिजे, णो अभिरू, णो पडिरूवे, से कहमेयं भंते! एवं ? १ उत्तर - गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहावेव्वियसरी य अवेव्वियसरीरा य, तत्थ णं जे से वेउब्वियसरी रे असुरकुमारे देवे से णं पासाईए जाव पडिरूवे; तत्थ णं जे से अवेउब्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं णो पासाईए जाव णो पडिरूवे । प्रश्न - सेकेणणं भंते ! एवं बुचड़ - तत्थ णं जे से वेउच्चियसरीरे तं चैव जाव पडिरूवे ? Jain Education International उत्तर - गोयमा ! से जहाणामए - इह मणुयलोगंसि दुबे पुरिसा भवंति पुगे पुरिसे अलंकिय- विभूसिए, पुगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसि णं गोयमा ! दोन्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासाईए जाव पडिरूबे, कयरे पुरिसे णो पासाईए जाव णो पडिरूवे, जे वा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy