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________________ शतक २४ उद्देशक २३ ज्योतिषी देवों का उपपात स । १ प्रश्न-जोइसिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति ? किं णेग्इए ? १ उत्तर-भेदो जाव सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उव. . वजंति, णो असण्णिपंचिंदियतिरिक्ख० । भावार्थ-१ प्रश्न-ज्योतिषौ देव कहां से आ कर उत्पन्न होते हैं ? नैरयिक, इत्यादि से ? १ उत्तर-भेद यावत् वे संज्ञो पञ्चेन्द्रिय तिर्यच से आ कर उत्पन्न होते हैं, असंज्ञो पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच से आ कर उत्पन्न नहीं होते। २ प्रश्न-जइ सण्णि० किं संखेज०, असंखेज ? २ उत्तर-गोयमा ! संखेजवासाउय०, असंखेजवासाउय० । भावार्थ-२ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यच से आ कर उत्पन्न होते हैं, तो क्या संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तियंच से आ कर उत्पन्न होते हैं या असंख्यात वर्ष की आयु वाले से ? २ उत्तर-हे गौतम ! संख्यात वर्ष और असंख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच से आ कर उत्पन्न होते हैं। ३ प्रश्न-असंखेज-वासाउय-सण्णिपंचिंदिय-तिरिक्खजोणिए णं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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