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________________ ३१५६ भगवती सूत्र-श. २४ उ. २१ मनुष्य की विविध योनियों से उत्पत्ति ८ प्रश्न-हे भगवन् ! यदि वे भवनपति देव से आ कर उत्पन्न होते हैं, तो क्या असुरकुमार से यावत् स्तनितकुमार से आ कर उत्पन्न होते हैं ? ८ उत्तर-हे गौतम ! वे असुरकुमार से यावत् स्तनितकुमार से भी आ कर उत्पन्न होते हैं। ९ प्रश्न-असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ? ९ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं मासपुहुत्तट्टिईएंसु, उक्कोसेणं पुवकोडिआउएसु उववजेज्जा । एवं जच्चेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियउद्देसए वत्तव्वया सच्चेव एत्थ वि भाणियव्वा । णवरं जहा तहिं जहण्णगं अंतोमुहुत्तट्टिईएसु तहा इहं मासपुहुत्तट्टिईएसु । परिमाणं जहण्णेणं एको वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं, संखेजा उववजंति, सेसं तं चेव । एवं जाव 'ईसाणदेवो' त्ति । एयाणि चेव णाणत्ताणि । सणंकुमारादीया जाव 'सहस्सारों' त्ति जहेव पंचिंदियतिरिक्खजोणियउद्देसए । णवरं परिमाणं जहण्णेणं एको वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेजा उववजंति । उववाओ जहण्णेणं वासपुहुत्तट्टिईएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडीआउएसु उववजंति, सेसं तं चेव । संवेहं वासपुहुत्तं पुत्वकोडीसु करेजा । सणंकुमारे ठिई चउगुणिया अट्ठावीसं सागरोवमा भवंति, माहिंदे ताणि चेव साइरेगाणि, बम्हलोए चत्तालीसं, लंतए छप्पण्णं, महासुक्के अट्ठसटिं, सहस्सारे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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