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४. इन्द्रियोपचय विषयक ५. परमाणु से ले कर अनन्त प्रदेशीस्कन्ध विषयक ६. रत्नप्रभा आदि के अन्तराल विषयक ७. जीव प्रयोगादि बन्ध विषयक ८. कर्मभूमि अकर्मभूमि विषयक ६. विद्याचारणादि विषयक और १०. सोपक्रम निरुपक्रम आयुष्य वाले जीवों का प्रतिपादन करने विषयक दसवां उद्देशक है। ___ शतक २१ - इक्कीसवें शतक में ८ वर्ग हैं। प्रत्येक वर्ग में १० उद्देशक हैं। आठ वर्ग इस प्रकार हैं - शालि आदि धान्य के विषय में दस उद्देशात्मक प्रथम वर्ग है। कलाय (मटर) आदि धान्य के विषय में दूसरा वर्ग है। अलसी आदि धान्य के विषय में तीसरा वर्ग है। बांस आदि पर्व वाली वनस्पति के लिये चौथा वर्ग है। इक्षु आदि पर्व वाली वनस्पति से सम्बन्धित पाँचवां वर्ग है। दर्भ (डाभ) आदि तृण के विषय में छठा वर्ग है। अभ्र आदि वनस्पति का प्रतिपादक सातवां वर्ग है और तुलसी आदि वनस्पति का प्रतिपादक आठवां वर्ग है।। ___ शतक २२ - बाईसवें शतक में ६ वर्ग हैं। प्रत्येक वर्ग में १०-१० उद्देशक हैं। छह वर्ग इस प्रकार हैं - १. ताल, तमाल आदि वृक्षों के विषय में दस उद्देशात्मक प्रथम वर्ग है। एक बीज वाले वृक्षों के विषय में दूसरा वर्ग है। बहुबीज फल वाले वृक्षों के सम्बन्ध में तीसरा वर्ग है। रींगंणी आदि गुच्छ वनस्पति के विषय में चौथा वर्ग है। सिरिय नवमालिका आदि गुल्म वनस्पति के विषय में पांचवां वर्ग है। वल्लि आदि बेल के विषय में छठा वर्ग है। प्रत्येक वर्ग में दस-दस उद्देशक हैं। ये सब मिला कर ६० उद्देशक हैं।
शतक २३ - तेईसवें शतक में ५ वर्ग हैं। प्रत्येक वर्ग में १०-१० उद्देशक हैं। सब मिलाकर ५० उद्देशक हैं। ५ वर्ग इस प्रकार हैं - आलू आदि साधारण वनस्पति विषयक दस उद्देशात्मक प्रथम वर्ग है। लोही आदि अनन्तकायिक विषयक दूसरा, अवकादि वनस्पति विषयक तीसरा, पाठा मृगलालुंकी आदि वनस्पति विषयक चौथा और माषपर्णी आदि वनस्पति विषयक पाँचवां वर्ग है।
शतक २४ - चौबीसवें शतक में २४ उद्देशक हैं। वे इस प्रकार हैं - १. उपपात २. परिमाण ३. संहनन ४. ऊंचाई ५. संस्थान ६. लेश्या ७. दृष्टि ८. ज्ञान, अज्ञान, ६. योग
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