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भगवती सूत्र-श. २४ उ. ३ नागकुमारों का उपपात
मनुष्यों से आते हैं, अपर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संजो मनुष्यों से नहीं आते।
१७ प्रश्न-पजत्तसंखेजवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए णागकुमारेसु उववजित्तए से णं भंते ! केवइ० ?
१७ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं दसवाममहस्सटिइएसु उक्कोसेणं देसूणदोपलिओवमट्टिइएसु उववजंति, एवं जहेव असुरकुमारेसु उववजमाणस्स सच्चेव लद्दी गिरवसेसा णवसु गमएसु, णवरं णागकुमारटिइं संवेहं च जाणेजा।
* 'सेवं भंते ! सेवं भंते !' ति ®
॥ चउवीसइमे सए तइओ उद्देसो समत्तो ॥ कठिन शब्दार्थ-लद्धी-लब्धि प्राप्ति ।
भावार्थ-१७ प्रश्न-हे भगवन् ! पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुष्य वाला संज्ञी मनुष्य, नागकुमारों में उत्पन्न हो, तो कितने काल की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है ?
१७ उत्तर-हे गौतम ! वह जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की स्थिति के नागकुमारों में उत्पन्न होता है, इत्यादि असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले मनुष्य की वक्तव्यता के समान सभी गमकों में जानना चाहिये, किंतु स्थिति और संवेध नागकुमारों की जानना चाहिये।
_ 'हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है। हे भगवन् ! यह इसी प्रकार हैकह कर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
विवेचन-नागकुमारों में उत्पन्न होने सम्बन्धी वक्तव्यता प्रायः असुरकुमारों के
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