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________________ भवगती सूत्र-श. २४ उ. ३ नागकुमारों का उपपात ३०५९ १० उत्तर-गोयमा ! पजत्तसंखेन्जवासाउय०, णो अपज्जत्तसंखेजवासाउय०। भावार्थ-१०प्रश्न-हे भगवन ! यदि वे नागकुमार, संख्यात वर्ष की आयुष्य के संज्ञो पञ्चेन्द्रिय तिर्यच योनिक से आते हैं, तो वे पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले या अपर्याप्त संख्यात वर्ष की आयु वाले संज्ञो पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं ? १० उत्तर-हे गौतम ! वे पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुष्य वाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यंच-योनिक से आते हैं, अपर्याप्त से नहीं। ११ प्रश्न-पजत्तसंखेन्जवासाउय० जाव जे भविए णागकुमारेसु । उववजित्तए से णं भंते ! केवइयकालट्टिईएसु उववज्जेज्जा ? ___११ उत्तर-जहण्णेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिओवमाई । एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्वया तहेव इह वि णवसु वि गमएसु । णवरं णागकुमारट्ठिई संवेहं च जाणेजा, सेसं तं चेव ९। भावार्थ-११ प्रश्न-हे भगवन् ! पर्याप्त संख्यात वर्ष की आयुष्य वाला संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तिर्यच-योनिक जोव, नागकुमारों में उत्पन्न हो, तो कितने का की स्थिति में उत्पन्न होता है ? ११ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पल्योपम की स्थिति वाले नागकुमारों में उत्पन्न होता है, इत्यादि असुरकुमारों में उत्पन्न होने वाले संज्ञी पञ्चेन्द्रिय तियंच के समान नव गमक जानने चाहिये । स्थिति और संवेध नागकुमारों के योग्य, शेष पूर्ववत् । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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