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शतक २४ उद्देशक ३
नागकुमारों में उपपात
१ प्रश्न-रायगिहे जाव एवं वयासी-णागकुमारा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति, किं गैरइएहितो उववज्जति, तिरि० मणु० देवेहितो उववज्जति ?
१ उत्तर-गोयमा ! णो णेरइएहिंतो उववज्जंति, तिरिक्वजोणि०, मणुस्सेहिंतो उववज्जंति, णो देवेहितो उववज्जति ।
___ भावार्थ-१ प्रश्न-राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा-हे भगवन् ! नागकुमार कहां से आ कर उत्पन्न होते है ? क्या नैरयिक, तिर्यंच, मनुष्य या देव से आते हैं ?
१ उत्तर-हे गौतम ! वे नरयिक से या देव से नहीं आते, किन्तु तियंच या मनुष्य से आते हैं।
२ प्रश्न-जइ तिरिक्ख० ?
२ उत्तर-एवं जहा-असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एएसिं पि जाव असण्णित्ति' ।
भावार्थ-२ प्रश्न-यदि वे तियंचों से आते हैं ? २ उत्तर-सभी वर्णन असुरकुमारों के समान यावत् असंज्ञी पर्यन्त ।
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