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भगवती सूत्र-श. २० उ. १० उत्पत्ति उद्वर्तन आत्म-ऋद्धि से
निरुपक्रम आयुष्य वाले ? . .
२ उत्तर-हे गौतम ! नैरयिक जीव सोपक्रम-आयुष्य वाले नहीं होते, निरुपक्रम-आयुष्य वाले होते हैं। इस प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त जानना चाहिये । पृथ्वीकायिकों का कथन औधिक जीवों के समान है। इस प्रकार यावत् मनुष्य पर्यन्त । वाणव्यतर, ज्योतिषी और वैमानिक का कथन नैरयिकों के समान है। . ३ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक जीव, आत्मोपक्रम से उत्पन्न होते हैं, या परोपक्रम.अथवा निरुपक्रम से ?
____३ उत्तर-हे गौतम ! आत्मोपक्रम से भी उत्पन्न होते हैं और परोपक्रम तथा निरुपक्रम से भी उत्पन्न होते हैं । इस प्रकार यावत् वैमानिक पर्यंत ।
- ४ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक आत्मोपक्रम से उद्वर्तते (मरते) हैं, परोपक्रम से या निरुपक्रम से उद्वर्तते हैं ?
४ उत्तर-हे गौतम ! वे आत्मोपक्रम और परोपक्रम से नहीं, किन्तु निरुपक्रम से उद्वर्तते हैं । इस प्रकार यावत् स्तनितकुमार तक । पृथ्वीकायिक यावत् मनुष्य तक तीनों उपक्रमों से उद्वर्तते हैं। शेष सब नैरयिकों के समान । विशेष यह है कि ज्योतिषी और वैमनिक में-'चवते हैं'-कहना चाहिये।
उत्पत्ति उद्वर्तन आत्म-ऋद्धि से
५ प्रश्न-णेरइया णं भंते ! किं आइइडीए उववजंति परिड्डीए उववजति ?
५ उत्तर-गोयमा ! आइड्ढीए उववजंति, णो परिड्ढीए उववजंति एवं जाव वेमाणिया ।।
६ प्रश्न-णेरइया णं भंते ! किं आइड्ढीए उव्वटृति, परिड्टीए
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