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२८.६२
भगवनी मूत्र-श. २० उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
पंच भंगा ५, णीलगलोहियहालिहसुकिल्लेसु वि पंच भंगा ५, एवमेए चउकगसंजोएणं पणवीसं भंगा ।
भावार्थ-यदि वह चार वर्ण वाला होता है तो कदाचित् एक देश काला एक देश नीला, एक देश लाल और एक देश पीला होता है। अथवा एक देश काला, नीला, लाल, अनेक देश पीला होता। अथवा एक देश काला, नीला, अनेक देश लाल और एक देश पीला होता है । अथवा एक देश काला, अनेक देश नीला, एक देश लाल और एक देश पीला होता है । अथवा अनेक देश काला, एक देश नीला, एक देश लाल और एक देश पीला होता है । इस प्रकार चतुःसंयोगी पांच भंग होते हैं इसी प्रकार कदाचित् एक देश काला, नीला, लाल ओर श्वेत के पांच भंग । एक देश काला, नीला, पीला और श्वेत के पांच भंग । अथवा काला, लाल, पीला और श्वेत के पांच भंग । अथवा नीला लाल, पीला और श्वेत के पांच भंग होते हैं । इस प्रकार चतुःसंयोगी पच्चीस भंग होते है ।
जह पंचवण्णे कालए य णीलए व लोहियए य हालिद्दए य सुकिल्लए य । सब्वमेए एक्का-दुयग-तियग-चउक्क पंचगसंजोएणं ईयालं भंगमयं भवइ । गंधा जहा वउप्पएसियस्स । रसा जहा वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स।
भावार्थ-यदि वह पांच वर्ण वाला हो तो काला, नीला, लाल, पीला और श्वेत होता है । इस प्रकार असंयोगी ५, द्विक संयोगी ४०, त्रिक संयोगी ७०, चतुःसंयोगी २५. और पंच संयोगी एक, इस प्रकार सब मिल कर वर्ण के १४१ भंग होते हैं । गन्ध के चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान छह भंग होते है। रस के वर्ण के समान १४१ भंग होते है । स्पर्श के ३६ भंग, चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान होते हैं। (गञ्चप्रदेशी स्कन्ध के विषय में वर्ण के १४१, गन्ध के ६,
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