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________________ २८६० भगवती मूत्र-स. २० उ ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि विवेचन-वणं सम्बन्धी ९० भंग ऊपर बतला दिये गये हैं। उसी के अनुसार रस के भी ९० भंग जानने चाहिये । ५ प्रश्न-पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कइवण्णे० ? ५ उत्तर-जहा अट्टारसमसए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे एगवण्णदुवण्णा जहेव चउप्पएसिए । जइ तिवण्णे सिय कालए णीलए लोहियए य १, सिय कालए णीलए लोहियगा य २, सिय कालए णीलगा य लोहियए य ३, सिय कालए णीलगा य लोहियगा य ४, मिय कालगा य णीलए य लोहियए य ५, सिय कालगा य णीलए य लोहियगा य ६, सिय कालगा य णीलगा य लोहियए य ७। सिय कालए णीलए हालिद्दए य । एत्थ वि सत्त भंगा ७ । एवं कालगणीलगसुकिल्लएसु सत्त भंगा, कालगलोहियहालिद्देसु ७, कालगलोहियसुकिल्लेसु ७, कालगहालिहसुकिलेस्सु ७, णीलगलोहियहालिद्देसु ७, णीलगलोहियसुकिल्लेसु सत्त भंगा ७, णीलगहालिद्दसुकिल्लेसु ७, लोहियहालिदसुकिल्लेसु वि सत्त भंगा ७ । एवमेए तियासंजोए सत्तरि भंगा। ___भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! पञ्चप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण वाला हैं, इत्यादि प्रश्न ? ५ उत्तर-हे गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक के अनुसार यावत् 'वह कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है'-तक जानना चाहिये । जब वह एक वर्ण वाला या दो वर्ण वाला होता है तो चतुष्प्रदेशी स्कन्ध के समान (उसके ५ और ४०) जानना चाहिये। जब वह तीन वर्ण वाला होता है तो Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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