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भगवती सूत्र-श. २० उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
२८५१
सर्वशीत, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । ४-अथवा सर्व उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । यहां भी पूर्ववत तीन भंग जानना चाहिये । अथवा-कदाचित् सर्व स्निग्ध, एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है । यहां भी पूर्ववत तीन भग होते हैं। सब मिला कर त्रिकसंयोगी बारह भंग होते हैं।
जइ चउफासे देमे सीए देसे उसिणे देसे णिदधे देसे लुक्खे १, देमे सीए देसे उसिणे देमे णिधे देमा लुक्खा २, देसे सीए देसे उसिणे देसा णिद्धा देसे लुक्खे ३, देसे सीए देसा उमिणा देसे णिदुधे देसे लुक्खे ४, देसे सीए देसा उसिणा देसे णिधे देसा लुक्खा ५, देमे सीए देसा उसिणो देसा णिद्धा देसे लुस्खे ६, देसा सीया देसे उसिणे देसे णिः देसे लुक्खे ७, देसा सीया देसे उसिणे देसे गिद्धे देसा लुक्खा, ८, देसा सीया देसे उसिणे देसा णिद्धा देसे लुक्खे ९, एवं एए तिरएसिए फासेसु पणवीसं भंगा।
भावार्थ-जब वह चार स्पर्श वाला होता है, तो १ एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है। अथवा २ एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होते हैं। ३ अथवा एक देश शीत, एक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । ४ अथवा एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष । ५ अथवा एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष । ६ अथवा एक देश शीत, अनेक देश उष्ण, अनेक देश स्निग्ध और एक देश लक्ष । ७ अथवा अनेक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष ।
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