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भगवती मूत्र-श २० उ. ५ परमाणु और स्कन्ध के वर्णादि
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२ उत्तर-हे गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक के अनुसार जानना चाहिये यावत् कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है । यदि वह एक वर्ण वाला होता है तो १-५ कदाचित् काला यावत् श्वेत होता है । यदि वह दो वर्ण वाला होता है तो-६ काला और नीला, ७ काला और लाल, ८ काला और पीला और ९ काला और श्वेत । १० नीला और लाल, ११ नीला और पीला, १२ नीला और श्वेत । १३ लाल और पीला, १४ लाल और श्वेत और १५ पीला और श्वेत होता है। (इस प्रकार द्विक-संयोगी दस भंग होते है) यदि वह एक गन्ध वाला होता है, तो-१६ सुरभिगन्ध या १७ दुरभिगन्ध होता है । यदि दो गन्ध वाला होता है तो-१८ सुरभिगंध और दुरभिगन्ध होता है। १९ से ३३-जिस प्रकार वर्ण के भंग कहे हैं, उसी प्रकार रस सम्बन्धी पन्द्रह भंग जानना चाहिये । जब दो स्पर्श वाला होता है तो ३४-३७ शीत और स्निग्ध इत्यादि चार भंग परमाणु-पुद्गल के समान जानना चाहिये । यदि वह तीन स्पर्श वाला होता है, तो ३८-सर्वशीत होता है और उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । ३९-सर्व उष्ण होता है और उसका एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । अथवा ४०-सर्व स्निग्ध होता है और एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है। अथवा ४१-सर्व रूक्ष होता है
और एक देश शीत और एक देश उष्ण होता है । यदि वह चार स्पर्श वाला होता है तो ४२-उसका एक देश शीत, एक देश उष्ण, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है । इस प्रकार स्पर्श के नौ भंग होते हैं। (इस प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध में वर्ण के १५, गन्ध के ३, रस के १५ और स्पर्श के ९, सब मिल कर ४२ भंग होते हैं।)
विवेचन-परमाणु-पुद्गल में शीत, उष्ण, स्निग्ध और रूक्ष इन चार स्पों में से अविरोधी दो स्पर्श पाये जाते हैं।
द्विप्रदेशी स्कन्ध में जब दोनों प्रदेश एक वर्ण वाले होते हैं तब असंयोगी ५ भंग होते हैं । जब दोनों प्रदेश भिन्न वर्ण वाले होते है, तब द्विकसंयोगो दस भंग होते हैं । गन्ध में जब दोनों प्रदेश एक गन्ध वाले ने हैं, तब असंयोगी दो भंग होते हैं और जब दोनों
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