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________________ भगवती मूत्र-श. १९ उ. ४ नरयिक के महायवादि चतुष्क २७९५ २ प्रश्न-हे भगवन् ! नरयिक महासव, महाक्रिया, महावेदना और भल्पनिर्जरा वाले हैं ? २ उत्तर-हां, गौतम ! ऐसे हैं ? ३ प्रश्न-हे भगवन ! नैरयिक महास्रव, महाक्रिया, अल्पवेदना और महानिर्जरा वाले हैं ? ३ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। ४ प्रश्न-हे भगवन् ! नैरयिक महात्रव, महाक्रिया, अल्पवेदना और अल्पनिर्जरा वाले हैं ? ४ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। ५ प्रश्न-सिय भंते ! णेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा महाणिजरा ? ५ उत्तर-गोयमा ! णो इणटे समझे। ६ प्रश्न-सिय भंते ! गेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पणिजरा ? ६ उत्तर-गोयमा ! णो इणद्वे समटे । ___७ प्रश्न-सिय भंते ! णेरइया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महाणिजरा ? ७ उत्तर-णो इणटे समढे। ८ प्रश्न-सिय भंते ! गेरइया महासवा अप्पफिरिया अप्पवेयणा अप्पणिजरा ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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