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________________ भगवती सूत्र-श. १९ उ. ३ स्थावर जीवों की अवगाहना की अल्पाबहुत्व २७८१ है जीवों का आहार अवश्य ही छह दिशाओं का बतलाया गया है. इसका कारण यह ज्ञात होता है कि यह सूत्र वादर निगोद (साधारण) वनस्पतिकाय की अपेक्षा सम्भवित है । उनमें अवश्य छह दिशा का आहार घटित हो सकता है । क्योंकि वे लोक के मध्यभाग में ही होते हैं, वे लोकान्त के निष्कूटों में नहीं होते । " स्थावर जीवों की अवगाहना की अल्पाबहुत्व २० प्रश्न - एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं आउ-तेउ वाउ-वणएसइकाइयाणं सुहुमाणं वायराणं पजत्तगाणं अपजत्तगाणं जहष्णुकोसियाए ओगाहणार कयरे कयरे जाव विसेसाहिया वा, ? २० उत्तर - गोयमा ! सव्वत्योवा सुहुमणिओयम्स अपज्जत्तगस्स जहष्णिया ओगाहणा १, सुहुमवाउका इयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा २,सुहुमते उकाइ यस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ३, सुहुम आउकाइयस्स अपजत्तगस्स जहष्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ४, सुहुमपुढविकाइ यस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ५, बायरवाकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ६, बायरते उक्काइयस्स अपज्ज - गस जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ७, बायरआउकाइयस्स अपजतगस्स जहणिया ओगाहणा अमंखे जगुणा ८, बायरपुढ विकाइयस्स अपज्जत्तगस्स ज़हणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ९, पत्तेयसरीर वायरवणस्सइकाइयरस वायरणिओयरस एएसि णं अपजत्तगाणं Jain Education International W For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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