SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 114
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र-श. १८ उ. ८ परमाणु आदि जानने की भजना २७४३ परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणइ णो तं समयं पासई, जं समयं पासइ णो तं समयं जाणइ ?' उत्तर-गोयमा! सागारे से णाणे भवइ, अणगारे से दंसणे भवइ, से तेणट्टेणं जाव णो तं समयं जाणइ, एवं जाव अणंतपएसियं । १२ प्रश्न-केवली णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं० ? . १२ उत्तर-जहा-परमाहोहिए तहा केवली वि जाव अणंतपए. सियं । * सेवं भंते ! से भंते ! त्ति के ॥ अट्ठारसमे सए अट्ठमो उद्देसो समत्तो ।। भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! छमस्थ मनुष्य परमाणु-पुद्गल को जानता और देखता है ? या नहीं जानता, नहीं देखता है ? ७ उत्तर-हे गौतम ! कोई जानता है, किन्तु देखता नहीं और कोई जानता भी नहीं और देखता भी नहीं। ८ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या छद्मस्थ मनुष्य द्विप्रदेशी स्कन्ध को जानतादेखता है ? या नहीं जानता नहीं देखता है ? उत्तर-हे गौतम ! पूर्ववत् । इसी प्रकार यावत् असंख्यात प्रदेशी स्कन्ध तक जानना चाहिये। . ९ प्रश्न-हे भगवन् ! छद्स्थ मनुष्य, अनन्त प्रदेशी स्कन्ध को जानता हैं, इत्यादि प्रश्न ? ९ उत्तर-हे गौतम ! १-कोई जानता है और देखता है। २-कोई जानता है परन्तु देखता नहीं। ३-कोई जानता नहीं, किन्तु देखता है और ४-कोई जानता भी नहीं और देखता भी नहीं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004091
Book TitleBhagvati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages566
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy