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________________ २२१८२ भगवती सूत्र- ग. १३ उ. ४ लोक का मध्य-भाग ... लोक का मध्य-भाग ६ प्रश्न-कहि णं भंते ! लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ? ६ उत्तर-गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए उवासंतररस असंखेज्जइभागं ओगाहेत्ता एत्थ णं लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते । ७ प्रश्न-कहि णं भंते ! अहेलोगस्म आयाममञ्झे पण्णत्ते ? ७ उत्तर-गोयमा ! चउत्थीए पंकप्पभाए पुदवीए उवासंतररस साइरेगं अधं ओगाहित्ता एत्थ णं अहेलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते। ८ प्रश्न-कहि णं भंते ! उड्ढलोगस्स आयाममज्झे पप्णत्ते ? ८ उत्तर-गोयमा ! उप्पिं सर्णकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हेडिं वंभलोए कप्पे रिट्ठविमाणे पत्थडे एत्थ णं उड्ढलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते । ९ प्रश्नन-कहि णं भंते ! तिरियलोगम्स आयाममज्झे पण्णते ? ९ उत्तर-गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरम्स पव्वयम्स बहुमज्झ. देसभाए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेसु एत्थ णं तिरियलोगस्स मज्झे अट्टपएसिए रुयए पण्णत्ते, जओ णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति, तं जहा-पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा एवं जहा दसमसए णामधेनंति ।। ___ कठिन शब्दार्थ-साइरेग-सातिरेक (कुछ अधिक), ओगाहित्ता-अवगाहन करके, पत्थडे-पाथड़ा (प्रस्तर), पुगपयरेसु-क्षुद्र (छोटे) प्रतरों में । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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