________________
Jain Education International
श्री भगवती सूत्र
के
प्रथम भाग में
शतक १-२ पृ. १ से ५३२ तक द्वितीय भाग में
शतक ३ से ६ पृ. ५३३ से १०७६ तक तृतीय भाग में
शतक ७-८ पृ. १०७७ से १५७० तक चतुर्थ भाग में -
शतक ९ से १२ पृ. १५७१ से २१३४ तक पंचम भोग में
शतक १३ से १७ पृ. २१३५ से २६४६ तक
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org