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भगवती सूत्र-श १७ उ ४ आत्म-स्पष्ट किया.
५ प्रश्न-जं समयं णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कजइ सा भंते ! किं पुट्ठा कजइ, अपुट्ठा कजइ ?
५ उत्तर-एवं तहेव जाव वत्तव्वं सिया जाव वेमाणियाणं, एवं जाव परिग्गहेणं, एवं एए वि पंच दंडगा।
६ प्रश्न-जं देसेणं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कजइ०?
६ उत्तर-एवं चेव जाव परिग्गहेणं, एए वि पंच दंडगा ।
७ प्रश्न-जं पएसं णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया । कजइ सा भंते किं पुट्ठा कन्जइ ?-एवं तहेव दंडओ।
७ उत्तर-एवं जाव परिग्गहेणं । एवं एए वीस दंडगा।
भावार्थ-५ प्रश्न-हे भगवन् ! जिस समय जीव प्राणातिपातिकी क्रिया करते हैं, उस समय वे स्पष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट क्रिया करते हैं ?
५ उत्तर-हे गौतम! पूर्वोक्त प्रकार यावत् वे 'अनानुपूर्वीकृत' नहीं हैंतक जानना चाहिये और इसी प्रकार यावत् वैमानिकों तक तथा इसी प्रकार यावत् परिग्रह तक जानना चाहिये। ये पूर्ववत् पांच दण्डक होते हैं।
६ प्रश्न-हे भगवन् ! जिस क्षेत्र में जीव प्राणातिपातिकी क्रिया करते हैं, उसी क्षेत्र में स्पष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट ?
६ उत्तर-हे गौतम! पूर्वोक्त प्रकार यावत् परिग्रह तक जानना चाहिये। ये पांच दण्डक हुए।
___७ प्रश्न-हे भगवन् ! जिस प्रदेश में जीव प्राणातिपातिकी क्रिया करते हैं, उस प्रदेश में स्पृष्ट क्रिया करते हैं या अस्पृष्ट ?
७ उत्तर-हे गौतम! पूर्वोक्त प्रकार यावत् परिग्रह तक जानना चाहिये।
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