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________________ भगवती सूत्र-स. १७ उ. ३ चल ना के प्रकार २६१९, ११ उत्तर-गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-मणजोगचलणा, वइजोगचलणा, कायजोगचलणा। कठिन शब्दार्थ-चलणा-चलायमान होना । भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! चलना कितने प्रकार की कही गई है ? ८ उत्तर-हे गौतम ! चलना तीन प्रकार की कही गई है। यथाशरीर चलना, इन्द्रिय चलना और योग चलना। ९ प्रश्न-हे भगवन् ! शरीर चलना कितने प्रकार की कही गई है ? ९ उत्तर-हे गौतम ! शरीर चलना पांच प्रकार की कही गई है। यथा-औदारिक शरीर चलना यावत् कार्मण शरीर चलना। . १० प्रश्न-हे भगवन् ! इन्द्रिय चलना कितने प्रकार की कही गई है ? १० उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार की कही गई है । यथा-श्रोत्रेन्द्रिय चलना यावत् स्पर्शनेन्द्रिय चलना। ११ प्रश्न-हे भगवन ! योग चलना कितने प्रकार की कही गई है ? ११ उत्तर-हे गौतम ! योग चलना तीन प्रकार की कही गई है । यथा- . मनोयोग चलना, वचन योग चलना और काय योग चलना । विवेचन-कम्पन का 'एजना' कहते हैं । वही एजना विशेष स्पष्ट हो तो उसे 'चलना' कहते हैं । सामान्यत: चलना के तीन भेद कहे गये हैं और उत्तर भेद तेरह हैं (पाँच शरीर, पाँच इन्द्रिय और तीन योग)। ___१२ प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'ओरालियसरीर• चलणा' २? १२ उत्तर-गोयमा ! जं जं जीवा ओरालियसरीरे वट्टमाणा ओरालियसरीरपायोग्गाइं दवाई ओरालियसरीरत्ताए परिणामे Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004090
Book TitleBhagvati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages530
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size9 MB
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