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भगवती सूत्र-स. १७ उ. ३ चल ना के प्रकार
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११ उत्तर-गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-मणजोगचलणा, वइजोगचलणा, कायजोगचलणा। कठिन शब्दार्थ-चलणा-चलायमान होना ।
भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! चलना कितने प्रकार की कही गई है ?
८ उत्तर-हे गौतम ! चलना तीन प्रकार की कही गई है। यथाशरीर चलना, इन्द्रिय चलना और योग चलना।
९ प्रश्न-हे भगवन् ! शरीर चलना कितने प्रकार की कही गई है ?
९ उत्तर-हे गौतम ! शरीर चलना पांच प्रकार की कही गई है। यथा-औदारिक शरीर चलना यावत् कार्मण शरीर चलना। . १० प्रश्न-हे भगवन् ! इन्द्रिय चलना कितने प्रकार की कही गई है ?
१० उत्तर-हे गौतम ! पांच प्रकार की कही गई है । यथा-श्रोत्रेन्द्रिय चलना यावत् स्पर्शनेन्द्रिय चलना।
११ प्रश्न-हे भगवन ! योग चलना कितने प्रकार की कही गई है ?
११ उत्तर-हे गौतम ! योग चलना तीन प्रकार की कही गई है । यथा- . मनोयोग चलना, वचन योग चलना और काय योग चलना ।
विवेचन-कम्पन का 'एजना' कहते हैं । वही एजना विशेष स्पष्ट हो तो उसे 'चलना' कहते हैं । सामान्यत: चलना के तीन भेद कहे गये हैं और उत्तर भेद तेरह हैं (पाँच शरीर, पाँच इन्द्रिय और तीन योग)।
___१२ प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'ओरालियसरीर• चलणा' २?
१२ उत्तर-गोयमा ! जं जं जीवा ओरालियसरीरे वट्टमाणा ओरालियसरीरपायोग्गाइं दवाई ओरालियसरीरत्ताए परिणामे
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