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भगवती मूत्र-श. १६ उ. ८ वर्षा का पता लगाने में पाँच क्रिया
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मिल्लं तं चेव जाव उवरिल्लं चरिमंतं गच्छइ ।
भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु पुद्गल एक समय में लोक के पूर्व चरमान्त से पश्चिम चरमान्त में, पश्चिम चरमान्त से पूर्व चरमान्त में, दक्षिण चरमान्त से उत्तर चरमान्त में, उत्तर चरमान्त से दक्षिण चरमान्त में, ऊपर के चरमान्त से नीचे के चरमान्त में और नीचे के चरमांत से ऊपर के चरमांत में जाता है ?
___७ उत्तर-हां गौतम ! परमाणु पुदगल एक समय में लोक के पूर्व चरमांत से पश्चिम चरमांत में यावत् नीचे के चरमांत से ऊपर के चरमांत में जाता है।
वर्षा का पता लगाने में पाँच क्रिया
८ प्रश्न-पुरिसे णं भंते ! वासं वासइ, वासं णो वासईइ हत्थं वा पायं वा वाहुं वा उरुं वा आउंटावेमाणे वा पसारेमाणे वा कइ. किरिए ?
८ उत्तर-गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे वासं वासइ वासं णो वासईइ, हत्थं वा जाव उरुं वा आउंटावेइ वा पसारेइ वा, तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे।
कठिन शब्दार्थ-वासं-वर्षा, आउंटावेमाणे-संकोचित करते हुए।
भावार्थ-८ प्रश्न-हे भगवन् ! वर्षा बरसती है या नहीं-यह जानने के लिये कोई पुरुष अपने हाथ, पैर, बाहु या उरु को संकुचित करे या फैलावे,
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