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________________ भगवती सूत्र-श. ९ उ. ३२ गांगेय प्रश्न-प्रवेशनक १५ प्रश्न-पंच भंते ! णेरइया णेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं. रयणप्पभाए होजा-पुच्छा । १५ उत्तर-गंगेया ! रयणप्पभाए वा होजा, जाव अहेसत्तमाए वा होजा। अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होजा; जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होजा । अहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होजा; एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होजा । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होजा; एवं जाव अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होजा; एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा । एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीओ चारियाओ तहा सक्करप्पभाए वि समं चारेयवाओ, जाव अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा; एवं एक्केक्काए समं चारेयवाओ, जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । कठिन शम्दार्थ-चारियाओ-संयोग किया है, चारियवाओ-संयोग करना चाहिये । भावार्थ-१५ प्रश्न-हे भगवन् ! पांच नैरयिक जीव, नैरयिक प्रवेशनक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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