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भगवती सूत्र - ग. उ. ३२ गगिय प्रश्न- प्रवेशनक
रपभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा २१ । एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमाओ पुढवीओ चारियाओ तहां सकरप्पभाए वि उवरिमाओ चारियव्वाओ जाव अहवा एगे सकरप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३० | अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे घूम
भाए एगे तमाए होज्जा ३१; अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३२, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३३, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे घूमप्पभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होज्जा ३४, अहवा एगे पंकप्पभाए एगे घूमभाए एगे तमाए एगे असत्तमाए होजा ३५ ।
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( चतुः संयोगी पैतीस भंग ) - ( १ ) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक पंकप्रभा में होता है ( २ ) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता
। ( ३ ) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक तमः प्रभा में होता है । ( ४ ) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक वालुकाप्रभा में और एक अधः सप्तम पृथ्वी में होता है । (ये चार भंग होते हैं।) (१) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक धूमप्रभा में होता है। ( २ ) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शर्कराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक तमःप्रभा में होता है । (३) अथवा एक रत्नप्रभा में, एक शंकराप्रभा में, एक पंकप्रभा में और एक अधः सप्तम पृथ्वी में होता है ।
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