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________________ २१२६ भगवती सूत्र-श. १२ उ. १० परमाणु आदि की सद्रूपता . से अवक्तव्य है, १३ एक देश के आदेश से सद्भाव पर्याय की अपेक्षा, एक देश के आदेश से असद्भाव पर्याय की अपेक्षा से और एक देश के आदेश से तदुभय पर्याय की अपेक्षा से त्रिप्रदेशी स्कन्ध कथंचित आला, नोआला और आत्मा तथा नोआत्ला उभयरूप से अवक्तव्य है। इसलिये हे गौतम ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध के विषय में उपर्युक्त कथन किया गया है। विवेचन-त्रिप्रदेशी स्कन्ध के विषय में तेरह भंग होते हैं। उनमें से पहले कहे हुए भंगो में से तीन भंग सम्पूर्ण स्कन्ध की अपेक्षा से असंयोगी है, पीछे नौ भंग द्विसंयोगी हैं। तेरहवां भंग त्रिसंयोगी है। २१ प्रश्न-आया भंते ! चउप्पएसिए खंधे अण्णे० पुच्छा ? २१ उत्तर-गोयमा ! चउप्पएसिए खंधे १ सिय आया २ सिय णोआया ३ सिय अवत्तव्यं आयाइ य णोआयाइ य, ४-७ सिय आया य णोआया य ४, ८-११ सिय आया य अवत्तव्वं ४, १२१५ सिय णोआया य अवत्तव्वं ४, १६ सिय आया य णोआया य अवत्तव्यं आयाइ य णोआयाइ य १७ सिय आया य णोआया य अवत्तब्वाई आयाओ य णोआयाओ य १८ सिय आया य णोआयाओ य अवत्तव्वं आयाइ य णोआयाइ य १९ सिय आयाओ य णोआया य अवत्तव्यं आयाइ य णोआयाइ य । २२ प्रश्न-से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-'चउप्पएसिए खंधे सिय आया य णोआया य अवत्तव्वं-तं चेव अढे पडिउच्चारेयव्वं ? २२ उत्तर-गोयमा ! १ अप्पणो आइटे आया २ परस्स Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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