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________________ २०९० ११ उत्तर - एवं वक्कंती भेएणं सव्वेसु उववाएयव्वा जाव 'सव्व सिद्ध' त्ति | णवरं तमा- अहेसत्तमाए णो उववाओ तेउ वाउ - असंखिज्जवासाज्यअ कम्मभूमग अंतरदीवगवज्जेसु । १२ प्रश्न - देवाहिदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववजंति, किं रइए हिंतो उववज्जंति - पुच्छा । १२ उत्तर - गोयमा ! रइए हिंतो उववज्जंति, णो तिरि०, णो मणु देवेहिंतो वि उववज्जंति । भगवती सूत्र - श. १२ उ. ९ भव्यद्रव्यादि पांच प्रकार के देव १३ प्रश्न - जइ रइए हिंतो ० ? १३ उत्तर - एवं तिसु पुढवीसु उववज्जंति सेसाओ खोडे - यव्वाओ । १४ प्रश्न - जड़ देवेहिंतो ० १ १४ उत्तर - वेमाणि सेसा खोडेयव्वा । भाणियव्वो । Jain Education International सव्वेसु उववज्जंति जाव सव्वट्टसिद्धत्ति, १५ प्रश्न - भावदेवा णं भंते ! कओहिंतो उववज्जंति ? १५ उत्तर - एवं जहा वक्कंतीए भवणवासीणं उववाओ तहा कठिन शब्दार्थ - खोडेयव्वा निषेध करना चाहिये । ७ प्रश्न - हे भगवन् ! भव्यद्रव्य देव किस गति से आकर उत्पन्न होते हैं ? क्या नैरयिकों से आकर उत्पन्न होते है, अथवा तिर्यञ्चों, मनुष्यों या देवों से For Personal & Private Use Only www.jalnelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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