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________________ २००८ भगवती सूत्र-श. १२ उ. ४ परमाणु और स्कन्ध के विभाग चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कजमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला; एगयओ तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति । सत्तहा कजमाणे एगयओ छ परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ । अट्टहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्गला भवति । भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! आठ परमाणु इकट्ठे होने पर क्या बनता है ? ७ उत्तर-हे गौतम ! अष्ट प्रदेशी स्कन्ध बनता है । यदि उसके विभाग किये जायें तो दो, तीन, यावत् आठ विभाग होते हैं । जब उसके दो विभाग किये जाये तो एक ओर एक परमाणु पुद्गल और एक ओर सप्त प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक छह प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक पञ्चप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा दो चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होते हैं । जब उसके तीन विभाग किये जायें, तो एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु पुद्गल और एक ओर छह प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक पञ्चप्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक परमाणु पुद्गल, एक ओर एक त्रिप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर दो द्विप्रदेशी स्कन्ध और एक ओर एक चतुष्प्रदेशी स्कन्ध होता है, अथवा एक ओर एक द्विप्रदेशी स्कन्ध, और एक ओर दो त्रिप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। जब उसके चार विभाग किये जाते हैं, तब एक ओर पृथक्-पृथक् तीन परमाणु-पुद्गल और एक ओर एक पञ्च Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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