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________________ भगवती सूत्र - श. १० उ. १ दिशाओं का स्वरूप कठिन शब्दार्थ - किमियं - किम् - क्या इयं यह, पाईणा - पूर्व दिशा, पवुच्चई - कहलाती है, पडणा- पश्चिम दिशा, दाहिणा-दक्षिण दिशा, उदीणा - उत्तर दिशा, पुरत्थिमा-पूर्व दिशा, पच्चत्थिता - पश्चिम दिशा, एयासि इन जमा-याम्पा (दक्षिण) दिशा, सोमा - उत्तर, विमला - ऊर्ध्व दिशा, तमा-अधो दिशा । १७८४ भावार्थ - २ प्रश्न - राजगृह नगर में गौतम स्वामी ने यावत् इस प्रकार पूछा - हे भगवन् ! यह पूर्व दिशा क्या कहलाती है ? २ उत्तर - हे गौतम ! यह जीव रूप भी कहलाती है और अजीव रूप भी कहलाती है । ३ प्रश्न - हे भगवन् ! यह पश्चिम दिशा क्या कहलाती है ? ३ उत्तर - हे गौतम! पूर्व दिशा के समान जानना चाहिये । इसी प्रकार दक्षिण दिशा, उत्तर दिशा, ऊर्ध्व दिशा और अधो दिशा के विषय में भी जानना चाहिये । ४ प्रश्न - हे भगवन् ! दिशाएँ कितनी कही गई हैं ? ४ उत्तर - हे गौतम ! दिशाएँ दल कही गई हैं । यथा - १ पूर्व, २ पूर्वदक्षिण (आग्नेय कोण ), ३ दक्षिण, ४ दक्षिणपश्चिम (नैऋत्य कोण ) ५ पश्चिन, ६ पश्चिमोत्तर ( वायव्य कोण ) ७ उत्तर, ८ उत्तरपूर्व (ईशान कोण) ९ ऊर्ध्व दिशा और १० अधो दिशा । ५ प्रश्न - हे भगवन् ! इन दस दिशाओं के कितने नाम कहे गये हैं ? ५ उत्तर - हे गौतम ! दस नाम कहे गये हैं । यथा - १ ऐन्द्री (पूर्व), २ आनेयी ( अग्नि कोण) ३ याम्या (दक्षिण), ४ नैर्ऋती (नैर्ऋत्य कोण ) ५ वारुणी (पश्चिम), ६ वायव्य ( वायव्य कोण ) ७ सौम्या ( उत्तर ) ८ ऐशानी ( ईशान कोण), ९ विमला (ऊर्ध्वदिशा) १० तमा ( अधो दिशा ) । ६ प्रश्न - इंदा णं भंते! दिसा किं-१ जीवा, २ जीवदेसा ३ जीवपएसा, ४ अजीवा, ५ अजीवदेसा, ६ अजीवपएसा ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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