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णमोत्थुणं समणस्स भगवओ महावीरस्स
गणधर भगवत्सुधर्मस्वामि प्रणीत
भगवती सूत्र
शतक ९
१ जंबुद्दीवे २ जोइस ३-३० अंतरदीवा ३१ असोच्च ३२ गंगेय । ३३ कुंडग्गामे ३४ पुरिसे णवमम्मि संतंमि चोत्तीसा ||
.. भावार्थ- नौवें शतक में चौतीस उद्देशक हैं । यथा - जम्बूद्वीप के विषय में प्रथम उद्देशक है । ज्योतिषी देवों के सम्बन्ध में दूसरा उद्देशक है । तीसरे से तीसवें उद्देशक तक अट्ठाईस उद्देशकों में अन्तद्वीपों का वर्णन है । इकत्तीसवें उद्देशक में 'असोच्चा केवली' का वर्णन है । बत्तीसवें उद्देशक में गांगेय अनगार के प्रश्न हैं । तेतीसवां उद्देशक ब्राह्मणकुण्ड ग्राम विषयक है। चौतीसवें उद्देशक में पुरुषघातक पुरुष आदि का वर्णन है ।
विवेचन - उपरोक्त संग्रह - गाथा में नौवें शतक में प्ररूपित ३४ उद्देशक का नाम निर्देश किया गया है । तीसरे उद्देशक से तीसवें तक अट्ठाईस उद्देशक, अट्ठाईस अन्तद्वीपों के मनुष्यों के विषय में है । इसलिए तीसरे से लगाकर तीसवें तक के उद्देशक का वर्णन एक साथ ही हुआ है ।
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