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________________ भगवती सूत्र - ९ उ. ३२ प्रवेशनकों का अल्प-बहुत्व वैमानिक देव सबसे थोड़े हैं और उनमें जाने वाले भी सब से थोड़े हैं, इसीलिये अल्प-बहुत्व में यह कहा गया है कि वैमानिक देव-प्रवेशतक सबमे अल्प हैं । प्रवेशनकों का अल्प - बहुत्व ४२ प्रश्न - एयस्स णं भंते ! णेरइयपवेसणगस्स तिरिक्खजोणिय० मणुस्स० देवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहिंतो - जाव विसेसाहिए वा ? १६७७ ४२ उत्तर - गंगेया ! सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए; णेरइयपवेसण ए असंखेजगुणे, देवपवेसणए असंखेज्जगुणे, तिरिक्णजोणियप्पवेसणए असंखेजगुणे | भावार्थ- - ४२ प्रश्न - हे भगवन् ! नं रयिकप्रवेशनक, तिर्यंचयोनिकप्रवेशनक, मनुष्यप्रवेशतक और देव-प्रवेशनक, इनमें कौन प्रवेशनक, किस प्रवेशनक से यावत् विशेषाधिक है ? ४२ उत्तर—हे गांयेय ! सबसे अल्प मनुष्य प्रबेशनक हैं, उससे नैरयिकप्रवेशन असंख्यात गुण हैं, उससे देव-प्रवेशनक असंख्यात गुण हैं और उससे तिचयोनिक प्रवेशनक असंख्यात गुण है । विवेचन - मनुष्य, मनुष्य क्षेत्र में ही होते हैं। इसलिये मनुष्य-प्रवेशनक सबसे अल्प है, क्योंकि मनुष्य क्षेत्र अल्प है। उससे नैरयिक प्रवेशक असंख्यात गुण हैं, क्योंकि नरक में जाने वाले जीव असंख्यात गुण हैं, इसी प्रकार देव-प्रवेशनक और तिर्यंचयोनिक प्रवेशनक के विषय में भी समझना चाहिये । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004089
Book TitleBhagvati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages578
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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