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भगवती सूत्र-श. ८ उ. १ वैक्रिय शरीर प्रयोग बंध.
वहाँ से चव कर आणत देवलोक के सिवाय दूसरे जीवों में उत्पन्न हो और वहां से मर कर पुनः आणत देवलोक में देवपने उत्पन्न हो, तो उस आणत देव वैक्रियशरीर प्रयोग-बंध का अन्तर कितने काल का होता है ?
५६ उत्तर-हे गौतम ! सर्व बंध का अन्तर जघन्य वर्ष-पृथक्त्व अधिक अठारह सागरोपम और उत्कृष्ट अनन्त काल-वनस्पति काल पर्यंत होता है। देश-बन्ध का अन्तर जघन्य वर्ष-पृथक्त्व और उत्कृष्ट अनंत काल-वनस्पत्तिकाल पर्यंत होता है । इसी प्रकार यावत् अच्युत देवलोक पर्यंत जानना चाहिये, परंतु सर्वबंध का अंतर जघन्य जिसकी जितनी स्थिति हो, उससे वर्ष-पृथक्त्व अधिक जानना चाहिये । शेष सारा कथन पूर्व के समान जानना चाहिये।
५७ प्रश्न-हे भगवन् ! ग्रेवेयक कल्पातीत वैक्रिय-शरीर प्रयोग-बंध का अन्तर कितने काल का होता है ?
५७ उत्तर-हे गौतम ! सर्व बंध का अन्तर जघन्य वर्ष-पृथक्त्व अधिक बाईस सागरोपम का और उत्कृष्ट अनन्त काल-वनस्पति काल पर्यंत होता है। देश-बंध का अन्तर जघन्य वर्ष-पृथक्त्व और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल पर्यंत होता है।
५८ प्रश्न-जीवस्म णं भंते ! अणुत्तरोववाइय-पुच्छा ।
५८ उत्तर-गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं वासपुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं संखेजाइं सागरोवमाइं । देसवंधतरं जहण्णेणं वासपुहत्तं, उस्कोसेणं संखेजाइं सागरोवमाई ।
५९ प्रश्न-एएसि णं भंते ! जीवाणं वेउब्वियसरीरस्स देसवन्धगाणं, सब्वबन्धगाणं, अबन्धगाण य कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा ?
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