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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ८ ऐपिथिक और सांपरायिक बंध
पच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य णपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ।
कठिन शब्दार्थ-जइ-यदि, इत्थिपच्छाकडो-स्त्री-पश्चात्कृत (जो पहले स्त्री वेदी हो) उदाहु-अथवा।
__भावार्थ-१२ हे भगवन् ! यदि वेद रहित एक जीव, या वेद रहित बहुत जीव, ऐर्यापथिक कर्म बांधते हैं, तो क्या (१) स्त्रीपश्चात्कृत (जो जीव गत काल में स्त्री था, अब वर्तमान काल में अवेदी हो गया है) जीव बांधता है, (२) पुरुषपश्चात्कृत (जो पहले पुरुष वेदी था किन्तु अब अवेदो है) जीव बांधता है, (३) नपुंसकपश्चातकृत (जो पहले नपुंसक वेदी था, किंतु अब अवेदी है।) जीव बांधता है, (४) स्त्रीपश्चात्कृत जीव वांधते हैं, (५) पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या (६) नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, (७) अथवा एक स्त्री-पश्चात्कृत और एक पुरुष-पश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा (८) एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव और बहुत पुरुष-पश्चात्कृत जोव बांधते हैं, अथवा (९) बहुत स्त्री-पश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा (१०) बहुत स्त्री-पश्चात्कृत जीव और बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा (११) एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव और एक नपुंसक-पश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा (१२) एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा (१३) बहुत स्त्री-पश्चात्कृत जीव और एक नपुंमकपश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा (१४) बहुत स्त्री-पश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा (१५) एक पुरुषपश्चातकत जीव और एक नपुंसक-पश्चातकृत जीव बांधता है, अथवा (१६) एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कत जीव बांधते हैं, अथवा (१७) बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा (१८) बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा (१९) एक स्त्री पश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है अथवा (२०) एक स्त्रीपश्चात्कृत
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