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भगवती सूत्र-श. ८ उ. ८ ऐपिथिक और साम्परायिक बन्ध
गोणपुंसगो बंधइ, पुव्वपडिवण्णए पडुच अवगयवेदा वा बंधति, पडिवजमाणए पडुच अवगयवेदो वा बंधइ, अवगयवेदा वा बंधति ।
कठिन शब्दार्थ-बंधे-आस्मा का कर्म वर्गणाओं से बंधना, इरियावहिया-ऐपिथिक (वीतराग को योग के कारण होने वाला), साम्पराइय-कषायजन्य, पुश्वपडिवण्णए-पूर्व प्रतिपन्न (पहले के), पडिवज्जमाण-प्रतिपद्यमान (वर्तमान), बंधइ-बांधता है, अवगयवेदावेदरहित (स्त्री, पुरुष और नपुंसक संबंधी भोग संस्कार नष्ट हो गए हों)। ..
भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! बन्ध कितने प्रकार का कहा गया है ?
९ उत्तर-हे गौतम ! बन्ध दो प्रकार का कहा गया है । यथा-ऐपिथिक बन्ध और साम्परायिक बंध।
१० प्रश्न-हे भगवन् ! ऐर्यापथिक बन्ध क्या नरयिक बांधता है, तिर्यच बांधता है, तियंचणी (तियंच स्त्री) बाँधती है, मनुष्य बांधता है, मनुष्यणी बांधती है, देव बांधता है, या देवी बांधती है ?
१० उत्तर-हे गौतम ! नरयिक नहीं बांधता, तिर्यच नहीं बांधता, तियचणी नहीं बांधती, देव नहीं बाँधता और देवी भी नहीं बाँधती । किन्तु पूर्व प्रतिपन्न की अपेक्षा मनुष्य और मनुष्यस्त्रियाँ बांधती है । प्रतिपद्यमान की अपेक्षा (१) मनुष्य बांधता है, अथवा (२) मनुष्य-स्त्री बांधती है, अथवा (३) मनुष्य बांधते हैं, अथवा (४) मनुष्य-स्त्रियां बांधती हैं, अथवा (५) मनुष्य और मनुष्य-स्त्री बांधती है, अथवा (६) मनुष्य और मनुष्य-स्त्रियाँ बांधती है, अथवा (७) मनुष्य (बहुत मनुष्य) और मनुष्य-स्त्री बांधती है, अथवा(८) मनुष्य और मनुष्य-स्त्रियां बांधती हैं।
११ प्रश्न-हे भगवन् ! ऐर्यापथिक कर्म क्या (१) स्त्री बांधती है, (२) पुरुष बांधता है, (३) नपुंसक बांधता है, (४) स्त्रियां बांधती हैं, (५) पुरुष बांधते हैं, (६) नपुंसक बांधते हैं, (७) या नोस्त्री-नोपुरुषनोनपुंसक बांधता है?
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