SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती सूत्र-श. ३ उ. २ असुरकुमारों के नन्दीश्वर गमन का कारण ६११ भावार्थ-९ प्रश्न-हे भगवन् ! असुरकुमार देव नन्दीश्वर द्वीप तक गये हैं, जाते हैं और जायेंगे। इसका क्या कारण हैं ? ९ उत्तर-हे गौतम ! अरिहंत भगवंतों के जन्म महोत्सव में, निष्क्रमण (दीक्षा) महोत्सव में, केवलज्ञानोत्पत्ति महोत्सव में और परिनिर्वाण महोत्सव में असुरकुमार देव, नन्दीश्वर द्वीप में गये हैं, जाते हैं और जायेंगे । अरिहन्त भगवन्तों के जन्म-महोत्सव आदि असुरकुमार देवों के नन्दीश्वर द्वीप जाने में कारण है। १० प्रश्न-अस्थि णं असुरकुमाराणं देवाणं उड्ढे गइविसए ? १० उत्तर-हंता, अस्थि । ११ प्रश्न-केवइयं च णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं उड्ढे गइविसए ? ११ उत्तर-गोयमा ! जावऽच्चुए कप्पे, सोहम्मं पुण कप्पं गया य, गमिस्संति य । __ कठिन शब्दार्थ-अच्चुए कप्पे-अच्युतकल्प-बारहवां देवलोक । भावार्थ-१० प्रश्न-हे भगवन् ! क्या असुरकुमार देव, अपने स्थान से ऊर्ध्व (ऊँची) गति करने में समर्थ है ? १० उत्तर-हाँ, गौतम ! वे अपने स्थान से ऊर्ध्व गति करने में समर्थ है। ११ प्रश्न-हे भगवन् ! असुरकुमार देव, अपने स्थान से कितने ऊँचे जाने में समर्थ हैं ११ उत्तर-हे गौतम ! असुरकुमार देव, अपने स्थान से यावत् अच्युत कल्प तक ऊपर जाने में समर्थ हैं । यह उनकी ऊँचे जाने की शक्ति मात्र है, किंतु - वे वहां तक कभी गये नहीं, किंतु सौधर्मकल्प तक वे गये है, जाते हैं और जावेंगे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy