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________________ भगवती सूत्र-श. ६ उ. ५ तमस्काय १००५ . . . . . ८ उत्तर-णो इणटे समठे। ९ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! तमुक्काए उराला बलाहया मंनेयंति, सम्मुच्छंति, वासं वासंति ? ९ उत्तर-हंता, अत्थि। १० प्रश्न-तं भंते ! किं देवो पकरेइ, असुरो पकरेइ, णागो पकरेइ ? १० उत्तर-गोयमा ! देवो वि पकरेइ, असुरो वि पकरेइ, णागो वि पकरेइ । __११ प्रश्न-अस्थि णं भंते ! तमुक्काए बायरे थणियसद्दे, बायरे विज्जुए? ११ उत्तर-हंता, अत्थि । १२ प्रश्न-तं भंते ! किं देवो पकरेइ० ? १२ उत्तर-तिण्णि वि पकरेंति । कठिन शब्दार्थ-गेहा-घर, गेहावणा-गृहापण-दुकान, उराला-उदार-प्रधान, बलाहया-बलाहक-मेघ, संसेयंति-संस्वेदित होते, सम्मूच्छंति-सम्मुच्छित होते, वासं वासंतिवर्षा बरसती है, यणियसद्दे-स्तंनित-गर्जन शब्द, विज्जुए-विद्युत्-बिजली। भावार्थ-७ प्रश्न-हे भगवन् ! तमस्काय में गृह (घर) हैं ? या गृहापण ७ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। ८ प्रश्न-हे भगवन् ! क्या तमस्काय में गांव हैं ? यावत् सनिवेश है ? ८ उत्तर-हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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