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भगवती सूत्र - ६ उ. ३ कर्मों के बंधक
दोनों उपयोग वाले जीव, आठों कर्म प्रकृतियों को कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं ।
३० प्रश्न - हे भगवन् ! क्या आहारकं जीव, ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ? या अनाहारक जीव बांधते हैं ?
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३० उत्तर - हे गौतम! आहारक और अनाहारक ये दोनों प्रकार के जीव, ज्ञानावरणीय कर्म को कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं । इस प्रकार वेदनीय और आयुष्य को छोड़कर शेष छह कर्म प्रकृतियों के विषय में कहना चाहिये । वेदनीय कर्म को आहारक जीव बांधते है तथा अनाहारक जीव कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं । आयुष्य कर्म को आहारक जीव कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं । तथा अनाहारक जीव नहीं बांधते हैं ।
३१ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या सूक्ष्म जीव, बादर जीव और नोसूक्ष्मनोबादर जीव, ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ?
३१ उत्तर - हे गौतम! सूक्ष्मजीव, ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं । बादरजीव कदाचित् बांधते हैं, और कदाचित् नहीं बांधते हैं। नोसूक्ष्मनोबादर जीव नहीं बांध हैं । इस प्रकार आयुष्य कर्म को छोड़कर शेष सात कर्म प्रकृतियों का कथन करना चाहिये । सूक्ष्म जीव और बादर जीव, आयुष्य कर्म को कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं । नोसूक्ष्म-नोबादर जीव नहीं बांधते हैं । . ३२ प्रश्न - हे भगवन् ! क्या चरम जीव और अचरम जीव ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं ?
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३२ उत्तर - हे गौतम ! चरम और अचरम ये दोनों प्रकार के जीव, आठों कर्म प्रकृतियों को कदाचित् बांधते हैं और कदाचित् नहीं बांधते हैं ।
विबेचन- ११ योग द्वार - मनयोगी, वचनयोगी और काययोगी, ये तीनों जब उपशांत मोह गुणस्थान वाले, क्षीणमोह गुणस्थान वाले और सयोगी गुणस्थान वाले होते हैं, तब ज्ञानावरणीय कर्म को नहीं बांधते हैं। इसके सिवाय दूसरे सभी सयोगी जीब, ज्ञानावरणीय कर्म बांधते हैं, इसलिए 'भजना' कही गई है । अयोगी-केवली और सिद्ध, ज्ञानावरणीय कर्म
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