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________________ ८८२ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलादि का अन्तर काल २५ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं उकोसेणं असंखेज कालं। ___२६ प्रश्न-असदपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालओ केवच्चिर होइ ? २६ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजहभागं । __२७ प्रश्न-एयस्स णं भंते ! दवट्ठाणाउयस्स, खेत्तट्ठाणाउयस्स, ओगाहणट्ठाणाउयस्स, भावट्ठाणाउयस्स कयरे कयरे जाव–विसेसाहिया ? २७ उत्तर-गोयमा ! सव्वत्थोवे खेत्तट्टाणाउए, ओगाहणट्ठाणाउए असंखेजगुणे, दवट्ठाणाउए असंखेजगुणे, भावट्ठाणाउए असंखेजगुणे। -खेत्तोगाहणादब्वे, भावट्ठाणाउयं च अप्प-बहं, खेत्ते सव्वत्थोवे, सेसा ठाणा असंखेजगुणा । कठिन शब्दार्थ-दग्वट्ठाणाउयस्स-द्रव्यस्थानायु । भावार्थ-२५ प्रश्न-हे भगवन् ! शब्द परिणत पुद्गल का अन्तर कितने काल का होता है। २५ उत्तर-हे गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट असंख्यय काल का अन्तर होता है। २६ प्रश्न-हे भगवन् ! अशब्द परिणत पुद्गल का अन्तर कितने काल का होता है ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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