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________________ ८८० भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलादि का अन्तर काल २१ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एगं समय, उक्कोसेणं असंखेज कालं । २२ प्रश्न-दुप्पएसियस्स णं भंते ! खंधस्स अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? ____२२ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं, एवं जाव-अणंतपएसिओ। ___ २३ प्रश्न-एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स सेयस्स अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? ___२३ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असं. खेजं कालं; एवं जाव-असंखेजपएसोगाढे। २४ प्रश्न-एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स णिरेयस्स अंतरं कालओ केवच्चिर होइ ? . २४ उत्तर-गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेजहभाग; एवं जाव-असंखेजपएसोगाढे, वण्ण-गंधरस-फास-सुहुमपरिणय-बायरपरिणयाणं एएसिं जं चेव संचिट्ठणा तं चेव अंतरं वि भाणियव्वं । कठिन शब्दार्थ-संचिटणा-स्थिति काल । भावार्थ-२१ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु पुद्गल का अन्तर कितने काल का होता है । अर्थात् जो पुद्गल, परमाणु रूप है, वह परमाणुपन को छोड़कर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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