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________________ भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलादि की स्पर्शना ८७३ १४ उत्तर-हे गौतम ! तीसरे और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है। इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध को पहले, तीसरे, सातवें और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है । द्विप्रदेशी स्कन्ध, त्रिप्रदेशी स्कन्ध को पहले, दूसरे, तीसरे, सातवें, आठवें और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है । इसमें बीच के चौथे, पांचवे और छठे विकल्प को छोड़ देना चाहिये । जिस प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध द्वारा त्रिप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्शना कही गई है, उसी प्रकार-चतुष्प्रदेशी स्कन्ध, पंच प्रदेशी स्कन्ध, यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध को स्पर्शना भी कहनी चाहिये। १५ प्रश्न-तिपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा ? १५ उत्तर-तईय-छ?-णवमेहिं फुसइ, तिपएसिओ दुपएसियं फुसमाणो पढमएणं,, तईएणं, चउत्थ-छट्ठ-सत्तम-णवमेहिं फुसइ, तिपएसिओ तिपएसिअं फुसमाणो सब्वेसु वि ठाणेसु फुसइ । जहा तिपएसिओ तिपएसिअं फुसाविओ एवं तिप्पएसिओ जाव-अणंतपएसिएणं संजोएयव्वो, जहा तिपएसिओ एवं जाव-अणंतपएसिओ भाणियव्वो। कठिन शब्दार्थ-संजोएयव्यो-संयुक्त करना चाहिये । १५ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु पुद्गल को स्पर्श करता हुआ त्रिप्रदेशी स्कन्ध, किस प्रकार स्पर्श करता है ? १५ उत्तर-हे गौतम ! उपरोक्त तीसरे, छठे और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध को पहले, तीसरे, चौथे, छठे, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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