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भगवती सूत्र-श. ५ उ. ७ परमाणु पुद्गलादि की स्पर्शना
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१४ उत्तर-हे गौतम ! तीसरे और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है। इसी प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध को पहले, तीसरे, सातवें और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है । द्विप्रदेशी स्कन्ध, त्रिप्रदेशी स्कन्ध को पहले, दूसरे, तीसरे, सातवें, आठवें और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है । इसमें बीच के चौथे, पांचवे और छठे विकल्प को छोड़ देना चाहिये । जिस प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध द्वारा त्रिप्रदेशी स्कन्ध को स्पर्शना कही गई है, उसी प्रकार-चतुष्प्रदेशी स्कन्ध, पंच प्रदेशी स्कन्ध, यावत् अनन्त प्रदेशी स्कन्ध को स्पर्शना भी कहनी चाहिये।
१५ प्रश्न-तिपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा ?
१५ उत्तर-तईय-छ?-णवमेहिं फुसइ, तिपएसिओ दुपएसियं फुसमाणो पढमएणं,, तईएणं, चउत्थ-छट्ठ-सत्तम-णवमेहिं फुसइ, तिपएसिओ तिपएसिअं फुसमाणो सब्वेसु वि ठाणेसु फुसइ । जहा तिपएसिओ तिपएसिअं फुसाविओ एवं तिप्पएसिओ जाव-अणंतपएसिएणं संजोएयव्वो, जहा तिपएसिओ एवं जाव-अणंतपएसिओ भाणियव्वो।
कठिन शब्दार्थ-संजोएयव्यो-संयुक्त करना चाहिये ।
१५ प्रश्न-हे भगवन् ! परमाणु पुद्गल को स्पर्श करता हुआ त्रिप्रदेशी स्कन्ध, किस प्रकार स्पर्श करता है ?
१५ उत्तर-हे गौतम ! उपरोक्त तीसरे, छठे और नववें विकल्प द्वारा स्पर्श करता है । त्रिप्रदेशी स्कन्ध, द्विप्रदेशी स्कन्ध को पहले, तीसरे, चौथे, छठे,
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