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________________ भगवती सूत्र - श. ५ उ. ६ अल्पायु और दीर्घायु का कारण नच वासुदेवों के पिता के नाम- १ प्रजापति २ ब्रह्म ३ सोम ४ रुद्र ५ शिव ६ महाशिव ७ अग्निशिख ८ दगरथ और ९ वसुदेव । · ८३९ नव वासुदेवों के प्रतिशत्रु (प्रतिवासुदेवों) के नाम-१ अश्वग्रीव २ तारक ३ मेरक ४ मधुकैटभ ५ निशुम्भ ६ बली ७ प्रभराज ( प्रहलाद ) ८ रावण और ९ जरासन्ध । इसके अतिरिक्त समवायांग सूत्र में गत अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी और भविष्यत् उत्सपिणी अवसर्पिणी के तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती आदि के नाम आदि दिये गये हैं । ॥ इति पांचवें शतक का पाँचवां उद्देशक समाप्त ॥ Jain Education International शतक ५ उद्देशक अल्पायु और दीर्घायु का कारण १ प्रश्न - कह णं भंते ! जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ? १ उत्तर - गोयमा ! तिहिं ठाणेहिं तंजहा-पाणे अइवापत्ता, मुसं वत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुरणं, अणेसणिज्जेणं असण- पाणखाइम साइमेणं पडिला भेत्ता; एवं खलु जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति । २ प्रश्न - कह णं भंते ! जीवा दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ? २ उत्तर-गोयमा ! तिहिं ठाणेहिं, तं जहा - गो पाणे अहवा For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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