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________________ ७७० भगवती सूत्र- श. ५ उ. १ धातकीखंड और पुष्करार्द्ध में सूर्योदय इसे 'लवण समुद्र' कहते हैं । यह दो लाख योजन का लम्बा चौड़ा है। इसमें चार सूर्य और चार चन्द्र हैं । जम्बूद्वीप का आकार गोल रुपया जैसा है और लवण समुद्र का आकार भी गोल है, किन्तु बीच में जम्बूद्वीप के होने से कंकण, चूड़ी और कड़ा जैसा गोल है । जम्बूद्वीप से लवणसमुद्र ने चौबीस गुणी जगह रोकी है । धातकीखंड और पुष्करार्द्ध में सूर्योदय १७ प्रश्न-धायइसंडे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ० ? १७ उत्तर-जहेव जंबुद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया स च्चेव धायइसंडस्स वि भाणियव्वा, णवरं-इमेणं अभिलावेणं सव्वे आलावगा भाणियव्वा। ___ १८ प्रश्न-जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि, जया णं उत्तरड्ढे वि तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरथिमपञ्चत्थिमे णं राई भवइ । १८ उत्तर-हंता, गोयमा ! एवं चेव जाव-राई भवइ । १९ प्रश्न-जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरस्थिमेणं दिवसे भवइ तया णं पचत्थिमेण वि ? जया णं पञ्चत्थिमेण वि तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं उत्तरेणं दाहिणेणं राई भवइ ? Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004087
Book TitleBhagvati Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages560
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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