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भगवती सूत्र - श. ५ उ. १ दिन रात्रि मान
दो दिशाओं में रात्रि होती है। यहां दक्षिणार्द्ध और उत्तरार्द्ध का यह अर्थ नहीं समझना चाहिये कि एक ही पदार्थ का नीचे का भाग दक्षिणार्द्ध और ऊपर का भाग उत्तरार्द्ध कहलाता है, किन्तु यहां 'अर्द्ध' शब्द का अर्थ 'मात्र' अमुक भाग है । इसलिये 'दक्षिणार्द्ध' शब्द
अर्थ यह है कि दक्षिण दिशा में आया हुआ भाग, और उत्तरार्द्ध का अर्थ है उत्तर दिशा में आया हुया भाग । इसलिये दक्षिणार्द्ध और उत्तरार्द्ध शब्दों के द्वारा उस सम्पूर्ण खण्ड का ग्रहण नहीं किया गया है । इसलिये पूर्व और पश्चिम दिशा में उस समय रात्रि होती है ।
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दिन-रात्रि मान
४ प्रश्न - जया णं भंते ! जंबूदीवे दीवे दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पुरत्थिम- पचत्थिमेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ?
४ उत्तर - हंता, गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे जाव - दुवालसमुहत्ता राई भवइ ।
५ प्रश्न - जया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पुरत्थिमे णं उनकोसए अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे पञ्चत्थिमेण वि उक्को - सेणं अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं पञ्च्चत्थिमे णं उक्कोसए अट्टारसमुहत्ते दिवसे भवइ तया णं भंते ! जंबूदीवे दीवे उत्तरदाहिणे दुवालसमुहुत्ता जाव - राई भवइ ?
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